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Happy Engineer's Day : Bhagwan Shri Vishwakarma & Bharat Ratna Shri Mokshagundam Vishweshvaraya

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      " At its heart, engineering is about using science to find creative, practical solutions. It is a noble profession. " Shri Mokshagundam Visvesvaraya was a notable Indian engineer, scholar, statesman and the Diwan of Mysore during 1912 to 1918.  भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से विभूषित सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जी की जयंती पर नमन | भारत में उनका जन्मदिन अभियन्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। He was a recipient of the Bharatiya Republic's highest honour, the Bharat Ratna, in 1955. He was knighted as a Knight Commander of the Indian Empire (KCIE) by King George V for his contributions to the public good. Every year, 15 September is celebrated as Engineer's Day in Bharat in his memory. He is held in high regard as a pre-eminent engineer of Bharat. He was the chief designer of the flood protection system for the city of Hyderabad in Telangana, as well as the chief engineer responsible for the construction of the Krishna Raja Sagara dam in Mandya. Sir M

" शिक्षक दिवस ", भारत के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्‍न डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन : ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है!

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"आदर्शों की मिसाल बनकर,  बाल जीवन संवारता शिक्षक। सदाबहार फूल -सा खिलकर,  महकता और महकाता शिक्षक। नित नए प्रेरक आयाम लेकर,  हर पल भव्य बनता शिक्षक। संचित ज्ञान का धन हमें देकर,  खुशियां खूब मनाता शिक्षक। पाप व लालच से डरने की,  धर्मीय सीख सिखाता शिक्षक। देश के लिए मर मिटने की,  बलिदानी राह दिखता शिक्षक। प्रकाशपुंज का आधार बनकर,  कराव्या अपना निभाता शिक्षक। प्रेम सरिता की बनकर धारा,  नैया पार लगता शिक्षक। " 💐🌹💞🙏 5 सितम्बर/जन्म-दिवस आदर्श शिक्षक डा. राधाकृष्णन प्रख्यात दर्शनशास्त्री, अध्यापक एवं राजनेता डा. राधाकृष्णन का जन्म पाँच सितम्बर 1888 को ग्राम प्रागानाडु (जिला चित्तूर, तमिलनाडु) में हुआ था। इनके पिता वीरस्वामी एक आदर्श शिक्षक तथा पुरोहित थे। अतः इनके मन में बचपन से ही हिन्दू धर्म एवं दर्शन के प्रति भारी रुचि जाग्रत हो गयी। उनकी सारी शिक्षा तिरुपति, बंगलौर और चेन्नई के ईसाई विद्यालयों में ही हुई। उन्होंने सदा सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में ही उत्तीर्ण कीं। 1909 में दर्शनशास्त्र में एम.ए कर वे चेन्नई के प्रेसिडेन्सी कॉलेज में प्राध्यापक नियुक